धातु और अधातु

धातु और अधातु 
(Metal and Non Metal ) 

प्रश्न:- धातु किसे कहते हैं? उसके भौतिक  गुणों को लिखें। 

उत्तर:- वैसे तत्व जो विद्युत एवं उष्मा का चालन करते हैं और आघातवर्धनीय एवं तन्य होते हैं, उसे धातु कहते हैं।
धातु के भौतिक गुण:-
  1. चमक:- सभी धातुएं प्रायः चमकीले होते हैं। धातु के इस गुण को धात्विक चमक कहते हैं।
  2. कठोरता:- सभी धातु एक कठोर होती हैं उन्हें चाकू से काटा नहीं जा सकता है।
  3. आघातवर्ध्य:-  धातुओ आघातवर्ध्य होती है। अतः उसे पीट-पीटकर चादरे बनाए जा सकते हैं। सोना एवं चांदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य होती हैं।
  4. तन्यता:-  धातु तन्य  होती हैं। अर्थात इन्हें खींचकर इनसे महीन तार बनाए जा सकते हैं। सोना एवं सिल्वर सर्वाधिक तन्य होती है1 ग्राम सोना से 2 किलोमीटर लंबे तार बनाए जा सकते हैं।
  5. उष्मीय एवं विद्युत चालकता:- सभी उस्मा एवं विद्युत की सुचालक होती है। सिल्वर उष्मा तथा विद्युत की सबसे अधिक सुचालक होती हैं।
प्रश्न:- अधातु क्या है? इसके भौतिक गुणों को लिखें।
उत्तर:- वैसे तत्व जो उस्मा एवं विद्युत का चालन नहीं करते हैं और ना ही आघातवर्धनीय एवं तन्य में होती है, लेकिन वे भंगुर होते हैं, उसे अधातु कहते हैं।
जैसे:- कार्बन, सल्फर, ब्रोमीन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, हिलियम, 
अधातु के भौतिक गुण:- 
  1. भंगुरता:- अधातु प्रायः भंगुर होते हैं। इन्हें हथौड़े से पीटने या खींचने पर चूर चूर हो जाती है।
  2. चमक:- अधातु में कोई विशेष चमक नहीं होती है। अपवाद:- ग्रेफाइट एवं आयोडीन चमकीले होते हैं।
  3. उष्मा  एवं विद्युत चालकता:- अधातु प्रायः ऊष्मा एवं विद्युत का कुचालक होती हैं।  अपवाद:- ग्रेफाइट
  4. कठोरता:- अधातु  मुलायम होती हैं। लेकिन कार्बन का एक अपरूप हीरा बहुत कठोर होता है।
  5. घनत्व:- अधातु के घनत्व निम्न होते हैं।
प्रश्न:- उपधातु क्या है? 
उत्तर: वैसे तत्वों जिसमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाए जाते हैं, उसे उपधातु कहते हैं।
जैसे:- बोरान, सिलिकॉन, पोलोनियम, टेल्यूरियम, 


 Q:- द्विधर्मी ऑक्साइड क्या है ? द्विधर्मी ऑक्साइड के दो उदाहरण दें।
उत्तर:- धातु के वैसे ऑक्साइड  जो अम्ल एवं क्षार दोनों से अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनाते हैं, उसे द्विधर्मी या उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं।
जैसे:- Al²O³, ZnO,

प्रश्न:-  रासायनिक बंधन किसे कहते हैं?  यह कितने प्रकार के होते हैं ? 
उत्तर:- वह रसायनिक बल जो किसी अणु में परमाणु को एक साथ बांधकर रहता है ,रासायनिक बंधन कहलाता है।
    परमाणु के परस्पर संयोग करने की प्रक्रिया के अनुसार रासायनिक बंधन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  1. वैधुत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन:- दो परमाणुओं के बीच के एक परमाणुु से दूसरेे परमाणु में एक एक या अधिक इलेक्ट्रॉन के स्थाानांतरण के फलस्वरूप बनेेेे रासायनिक बंधन वैैैैधुत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन कहते हैं । इसे धुर्वीय बंधन भी कहते हैं।
  2. सहसंयोजक बंधन:- जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा करता है तब उनके बीच बना हुआ रासायनिक बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
जैसे:- हाइड्रोजन अणु का बनना
       कैलोरी अणु का बनना।
प्रश्न:- वैधुत संयोजक योगिक की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:- वैधुत संयोजक यौगिक की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
  1. यह यौगिक धन एवं ऋण आवेशित आयनों के बने होते हैं।
  2. इनके द्रवनांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं।
  3. यह द्रवित या जलीय विलियन की अवस्था में विद्युत के सुचालक होते हैं।
  4. यह जल में प्रायः विलेय होते हैं। 
प्रश्न:- सहसंयोजक यौगिकों की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर:- सहसंयोजक यौगिकों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं- 
  1. ये यौगिक प्रायः वाष्पशील द्रव या गैस होते हैं।
  2. इनके द्रवनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं।
  3. यह विद्युत का कुचालक होती है।
  4. यह प्रायः जल में अविलेय परंतु कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं।  




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